आत्मोत्थान®, ईकार्य®, ईकोघर®, इकोटॉक®, ईद्रौणपद®, ईगज़क®, ईलग्नालय®, ईलेंक®, गिफ्टोरिअम®, ऑघी®, विहारालय® एवम् इकोघट® हैतु तहसील स्तर पर वितरक बनिये
देश के किसान की औसत आय; लाख रुपये वार्षिक से कम ही है।
फिर भी याद है ना; मानसून की गड़बड़ी से; अर्थव्यवस्था का डगमगाना।
देश की 60% से अधिक आबादी की आजीविका का प्राथमिक स्रोत; अभी भी कृषि आधारित ही है।
देश की तकरीबन 85 करोड़ वयस्क आबादी में से; करनिर्धारण वर्ष 22-23 में; 6 करोड़ से कुछ ही ज्यादा लोगों ने आयकर की विवरणी दाखिल की है। 10-12 करोड़ किसान, 6 करोड़ टैक्स फाइलर के अलावा, बढ़ती शहरी आबादी के चलते; हमारे देश में तकरीबन 10-12 करोड़ और भी परिवार हैं।
पिछले 4 बिंदुओं से हम देश के बहुसंख्य नागरिकों की; तुलनात्मक समृद्धि का स्तर; समझ सकते हैं।
अपने देश के कुल 765 जिलों में कुल 19300 पिन कोड हैं।
एक पिन कोड क्षैत्र में, तकरीबन 14 हजार परिवारों में; लगभग 70 हजार आबादी रहती है।
इनमें अभी तकरीबन 18 से 38 साल उम्र के 25 हजार युवा हैं।
हर साल इसमें बारह सौ, नये बच्चे भी; वयस्कता गांठते हुए रोजगार मांगने की लाइन में और जुड़ ही जाते हैं।
यदि सिर्फ पुरुष वर्ग को हम रोजगार की लाइन में लगा मानें; तो भी 600 नये बेरोजगार हर साल बाजार में आने ही वाले हैं।
शिक्षित युवाओं में ऑटोमेशन के चलते; बेरोजगारी का स्तर; कई दशाब्दियों की तुलना में, आज भरपूर है।
यदि एक पिन कोड क्षैत्र में किसी एक साल में, 500 बेरोजगारों को गरिमापूर्ण रोजगार से लगाया जाये; तो अगले 50 साल तक; लगातार यह काम, बना ही रहने वाला है।
प्रत्येक वर्ष एक पिन कोड क्षैत्र में 500 बेरोजगारों से संपर्क हेतु एक इकोदूत को मात्र 2000 रुपये दिये जायें तो उसकी वार्षिक आय = 500 X 2000 = 10 00 000 रुपये।
एक जिले में औसतन 26 से थोड़े कम या ज्यादा पिन कोड हो सकते हैं।
यदि हम 25 पिन कोड माने तो 25 X 10 लाख बराबर ढाई करोड़ रुपये।
यदि हम इन 25 इकोदूतों को फीड करने के लिए एक जिला स्तरीय वितरक (इको-प्रसारक ) को 4% प्रॉफिट मार्जिन दें तो वह भी साल के ढाई करोड़ X .04 = 10 लाख कमाएंगे।
यदि आजू-बाजू के 8-12 जिलों पर एक क्षेत्रीय वितरक नियुक्त किए जाएं तो औसतन 10 जिलों से उनका वार्षिक कारोबार ढाई करोड़ X 10; बराबर 25 करोड़ रुपये। यदि उनको भी 4% प्रॉफिट मार्जिन दें तो वह भी साल के 25 करोड़ X .04 = 100 लाख कमाएंगे।
इस पूरे अभियान में उन 10-12 जिलों की किस्मत व इलाके की समृद्धि तो बड़ेगी ही; परंतु साथ ही साथ; हम बेहतर पर्यावरण के वैश्विक लक्ष्य की ओर भी अग्रसर हो जाएंगे।
अब आप हमें बताएं आप की महत्वाकांक्षा कितने लाख रुपये सालाना कमाने की है? उतने ही जिले; हम आपके वितरण क्षेत्र में शामिल कर; उनके अधिकार आपको उपलब्ध कराएंगे।
वितरण अधिकार हासिल करने के लिए; आपको अपनी गुडविल बनाने में; तकरीबन ₹5000 निवेश करने रहेंगे।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया इसे देखें: https://www.ecoghut.com/rd
यदि हम अपने प्रतिदिन की तीन चौथाई कमाई को भी; व्यवसाय में लगाते रहे; तो अगले 203 दिन या 203 चक्र में; क्या होने वाला है? नीचे देखें :
आपकी अतिरिक्त कमाई के लिए;
आपको दिमाग इसमें लगाना है की;
कैसे न्यूनतम खर्च में; बेहतरीन मार्ग निर्धारण कर;
अपने सभी जिला स्तरीय वितरकों को;
सुबह 4:00 बजे के पहले उनकी आवश्यकता अनुसार;
माल पहुंचवाकर; उनको उपलब्ध कराया जाए?
हमारे व्यवसाय के परिणामस्वरूप हम हमारे क्षेत्र में इकोभारत रोज़गार संधि उपलब्ध करायेंगे।
जौखिम के घटक
ऊपर दर्शायी गयी गणनानुसार सभी कुछ होगा, निर्भर करता है; कितने त्वरित एक्शन, समयानुसार आप और हम ले पाते हैं?
किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना, परिस्थति या घटनाक्रम; उदाहरण के लिए, युद्ध, दंगे, भूकंप, तूफान, बिजली गिरना, विस्फोट, ऊर्जा ब्लैकआउट, महामारी, अप्रत्याशित कानून, तालाबंदी, बहिष्कार, मंदी/ हड़ताल. रास्ता-ज़ाम, इंटरनेट/डिजिटल/सर्वर अटैक या मालफंग्शन, वैयक्तिक स्वास्थ्य सम्बन्धित गडबडी, ईर्ष्या-द्वेश उकसाने वाली किसी भी प्रकार की; जाने-अनज़ाने में की गयी कार्यवाही, सड़क दुर्घटना, आगज़नी, दुष्प्रचार, थके या बिके हुये कर्मचारी, ठेकेदार, वित्तीय-असावधानी, प्रखण्ड 1 की तीसरी पंक्ति के अनुपालन में ढिलायी या गलत अन्दाज़, इत्यादि; हमारा गणित और हमारे करोड़पति बनने की रफ्तार बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।